झारखण्ड पशुचिकित्सा सेवा संघ के पशुपालन सेवा संवर्ग की वर्तमान नियमावली में संसोधन एवं पुनर्गठन प्रस्ताव  को जायज मांग बताया -राजेश कच्छप

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झारखण्ड पशुचिकित्सा सेवा संघ के पशुपालन सेवा संवर्ग की वर्तमान नियमावली में संसोधन एवं पुनर्गठन प्रस्ताव  को जायज मांग बताया -राजेश कच्छप

 

रांची।नवगठित झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के शिष्टमंडल द्वारा संघ के अध्यक्ष डॉ  समसोन संजय टोप्पो एवं महामंत्री डॉ शिवानंद काशी के नेतृत्व में माननीय विधायक खिजरी श्री राजेश कच्छप   से शिष्टाचार भेंट की गई और विभागीय पुर्नगठन न हो पाने के कारण होने वाली समस्या ,पशु चिकित्सकों के लिए संशोधित नयी नियमावली बनाए जाने, स्वीकृति पद की संख्या को बढ़ाने, पांच प्रोन्नति स्तर की मांग से भी अवगत कराया गया।संघ के माध्यम से यह भी अवगत कराया गया कि राज्य के निमार्ण होने के उपरांत बिहार के कार्यबल का एक तिहाई सात सौ अट्ठानवे पशु चिकित्सकों को झारखंड राज्य में सेवा प्रदान करने का अवसर मिला तथा अबतक पशु चिकित्सकों के कार्यबल में कोई वृद्धि नहीं हुई है जबकि राज्य के गठन के उपरांत पशुधन की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है जिसमें गोजति की संख्या वर्ष 2003 में 76.58 , भैंस की संख्या 13.43, भेंड़ की संख्या 6.8, बकरी की संख्या 50.13 सुकर की संख्या 11.8 तथा मुर्गी की संख्या 144.29 मिलियन थी ‌। जिसमें वर्ष 2017 तक गोजाति में 28.16 प्रतिशत , भैंस में 13.86 प्रतिशत, भेंड़ में 9.95 प्रतिशत, बकरी में 38.59 प्रतिशत, सुकर में 32.69 प्रतिशत तथा मुर्गा- मुर्गी में 69.87 प्रतिशत वृद्धि हो चुकी है। संघ ने  बहुप्रतीक्षित मांग पशु चिकित्सा सेवा के वर्तमान नियमावली में संसोधन एवं स्वीकृत बल को प्रत्यापित कर विभिन्न श्रेणी के पदों के पुनर्गठन करने के  सम्बन्ध में ज्ञापन सौंपा एवं विस्तृत चर्चा हुई। चर्चा में महोदय द्वारा पशुपालको एवं पशुचिकित्सको के साथ साथ पशुचिकित्सालय को सुदृढ़, उसे मानव संसाधन युक्त करने ,अत्याधुनिक उपस्कर एवं उपकरण के साथ सुसज्जीत करने पर विशेष बल दिया। उनके द्वारा आवश्यकता के आधार पर नेशनल कमीशन ऑन एग्रीकल्चर रिपोर्ट 1974 में अनुशंसित 5000 कैटल यूनिट पर एक पशुचिकित्सक पर भी सरकार के समक्ष रखने की बात कही गई जबकि पशुधन के संख्या के अनुसार झारखण्ड में 2800 पशुचिकित्सक की आवस्यकता है जिसके विरुद्ध मात्र 798 पद स्वीकृत है। वर्तमान में अधिकांश पशुचिकित्सक बेसिक पद भ्रमणशील पशुचिकित्सा पदाधिकारी /प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी के पद पर ही सेवानिवृत हो जाते हैं जिससे उनमें घोर निराशा व्याप्त है जिसका सीधा असर उनकी कार्यक्षमता पर पड़ता है नये पूनर्गठन प्रस्ताव अधिसूचित हो जाने पर संघ के अध्यक्ष द्वारा बताया गया की इससे पशुचिकित्साकों की कार्यकुशलता में वृद्धि होगी और अपना सर्वस्व पशु की सेवा में देंगे जिससे पशु उत्पाद जैसे  दूध मांस अंडा उन उत्पादन में झारखण्ड आने वाले दिनों में आत्मनिर्भर होगा , कुपोषण से भी मुक्ति मिलेगी तथा लोगों को पशु उत्पाद आधारित व्यवसाय कर अतिरिक्त आय होगी. पुनर्गठन से प्रखंड में एनिमल हेल्थ सेंटर बनेगा जिसमें

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पशुचिकित्सालय को सुदृढ़ करना,मानव संसाधन युक्त बनाना ,अत्याधुनिक उपस्कर उपकरण के साथ सुसज्जीत किया जाना है जिससे पशुपालक को तुरंत प्रखंड स्तर पर ही उनके पशु के रोग का निदान संभव हो जायेगा । राज्य भर के पशु चिकित्सालयों में बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने से क्षेत्र के पशुपालक पशुपालन के माध्यम से आयुवृद्धि कर समृद्ध होगें । अध्यक्ष महोदय ने बताया  की संघ की मांग पुर्ण हो जाने पर प्रखंड स्तर के पशु चिकित्सालयों में दो पशु चिकित्सक उपलब्ध होंगे जो पशुपालकों को बेहतर और अनवरत चिकित्सा सेवाएं प्रदान करेंगे तथा सरकार की अतिमहत्वपूर्ण मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना का भी धरातल पर तेज गति से क्रियान्वयन होगा।

इसी के सम्बन्ध में महामंत्री द्वारा वर्तमान नियमावली में संसोधन के मुख्य बिंदु प्रोन्नती के पांच स्तर जिसमे मूल स्तर पर पशुचिकित्सा पदाधिकारी,प्रथम स्तर पर सहायक निदेशक एवं समक्ष, द्वितीय  स्तर उपनिदेशक एवं समकक्ष, तृतीय स्तर संयुक्त निदेशक एवं समकक्ष, चतुर्थ स्तर अपर निदेशक एवं समकक्ष, पंचम स्तर निदेशक के होंगे  के साथ विभागीय स्वीकृत पदों की पुर्नसंरचना एवं पुर्नगठन को यथाशीघ्र अधिसूचित कराने की मांग पर विशेष बल दिए!

विधायक महोदय द्वारा वर्तमान नियमावली में संसोधन एवं पुनर्गठन प्रस्ताव पर सकारात्मक होते हुए कहा गया की यह संघ की जायज मांग है इससे रोजगार सृजन के साथ साथ पशुपालक आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर होंगे, उनका पलायन भी रुकेगा उन्होंने यह भी कहा कि इस विषय पर  हमारी सरकार पशुओं के प्रति संवेदनशील है और आप लोग उनके रक्षक है! आपकी यह मांग जायज है यथाशीघ्र इसपर कार्यवाही कर मांग पूरी करने का आश्वासन दिया । ज्ञात हो की झारखंड निर्माण के बाद कई विभागों का पुनर्गठन हो चुका है। परंतु पशुधन संपन्न इस राज्य में पशुपालन सेवा बदहाली के दौर से गुजर रहा है, जिसे वर्तमान नियमावली में संशोधन के साथ पुर्नगठन के माध्यम से सुदृढ़ किया जा सकता हैं ।

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      महामंत्री

                      डॉ शिवानंद कांशी

     झारखंड पशु-चिकित्सका सेवा संघ

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