विक्रय हेतू पालतू पशु को रखने के नियम
विक्रय हेतू पालतू पशु रखने के लिए राज्य पशु कल्याण बोर्ड से व्यवसाय करने के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र लेना होता है, जिसके लिए निम्नलिखित मूलभूत नियमों का पालन करना होता है-
- इन नियमों का संक्षिप्त नाम पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण (पालतू पशु दुकान) नियम 2018 है।
- प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाला व्यक्ति को निर्धारित शुल्क के साथ राज्य पशु कल्याण बोर्ड के सामने एक शपथपत्र के साथ आवेदन प्रस्तुत करना पडेगा। शपथ पत्र में पालतू पशुओं के व्यवसाय से सम्बंधित सभी शर्ते पूरी करने पड़ती है।
- प्रत्येक व्यक्ति को रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र को पालतू पशु दुकान में प्रदर्शित करना पडेगा।
- पालतू पशु दुकान के रजिस्ट्रीकरण के पश्चात तीन माह के भीतर राज्य सरकार के प्राधिकृत पशु चिकित्सक द्वारा पालतू पशु दुकान का निरीक्षण कराना पडेगा। निरीक्षण रिपोर्ट का अनुपालन होने के बाद ही पालतू पशु दुकान का रजिस्ट्रीकरण जारी रख सकेगा।
- राज्य बोर्ड द्वारा जारी रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र पांच वर्ष के लिए विधि मान्य होगा और राज्य बोर्ड को आवेदन किये जाने पर पांच हजार रूपये की फीस के साथ उसका नवीनीकरण कर सकेगा एवम रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र अहस्तानंतरणीय होगा।
- पालतू पशु दुकान स्थायी संरचना या भवन में अवस्थित होनी चाहिए जिसमें जल और बिजली जैसी मूलभूत सुख सुविधाओं के लिए पर्याप्त व्यवस्था हो तथा इस प्रकार हो कि उसमें रखे गये पालतू पशुओ को खड़ा, बैठाया, लिटाया, चारों तरफ घुमाया एवं पैर फैला कर बैठाया जा सके।
- पालतू पशु विक्रय के लिए प्रदर्शित किये जाने वाला बाड़ा या कक्ष पर्याप्त आकार का होना चाहिए।
- विक्रय हेतु पालतू पशु का प्रदर्शन या आवास के लिए कक्ष का फर्श इस प्रकार निर्मित हो जिसमें पशुओं के पैरो या टांगों को कोई चोट ना पहुंचे।
- जिन बाड़ो में पालतू पशुओ को विक्रय के लिए प्रदर्शित किया जाए, उनका तापमान आरामदेह होना चाहिए, जो पशु दर पशु परिवर्तनशील होता है।
- पशु रखने के लिये कक्षों का निर्माण इस प्रकार से किया गया हो कि सभी नस्लों के पशु उनकी उम्र के हिसाब से अलग अलग रखे जा सकें।
- पशुपालन के सभी कक्ष ध्वनि रहित होने चाहिए।
- पालतू पशु दुकान में धुंआ संसूचन और अग्नि शमन उपस्कर लगा होना चाहिए।
- पशुशाला में संक्रात क्षेत्र भी हो, जहाँ पशुओं को संक्रमित होने के संदेह पर विक्रय के लिए आयातित शेष पशुओं से अलग रखा जा सके।
- पशु खाद्य भंडारण की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
- पशुओं की पशु चिकित्सीय सम्बन्धी देखभाल एवं आहार सम्बन्धी देखभाल के लिए योग्य व्यक्ति को नियोजित करना चाहिए।
- पालतू पशुओं को भोजन तथा जल पिलाने के लिए प्रयुक्त आधानों को साफ और विष्ठा या मूत्र के संदूषण से मुक्त रखना चाहिए।
- पालतू पशु जो एक दुसरे के प्रति विद्वेष रखते है, उन्हे संयुक्त बाड़ो में प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए, जेसे कुत्ते व बिल्लियों को एक दूसरे के साथ नहीं रखा जाता है।
- स्वस्थ पशु जिन्हें पशु चिकित्सक द्वारा लिखित में प्रमाणित किया गया हो, केवल उन्हे दुकान में विक्रय के लिए रखा जाना चाहिए।
- संगरोधित या बीमार पालतू पशुओं को नये लाये गये पशुओं के साथ नहीं रखा जाना चाहिए।
- पालतू पशु दुकान में किसी भी रूप में अंग विच्छेदित पालतू पशुओ का विक्रय नहीं किया जाना चाहिए।
- प्रत्येक पालतू पशु दुकान स्वामी ऐसे पालतू पशु, जिनके लिए तीन माह बीत जाने के बाद भी क्रेता नहीं मिलता है, अंगीकरण करने या पुनः घर लाने का प्रयाश करना चाहिए।
- प्रत्येक पालतू पशु दुकान स्वामी को विक्रित पशुओं का अभिलेख पुस्तिका में अनुसूची के अनुसार पालतू पशुओ के प्रदाय कर्ता की सूचनायेँ रखना चाहिए जिनके अंतर्गत प्राप्त किये गये पशुओ का नाम, पता ,सम्पर्क नंबर, खरीदने की तारीख उनकी संख्या और उनकी नस्ल हो।
- प्रत्येक पालतू पशु दुकान स्वामी को दुकान में बीमार या मृत पशुओं का अभिलेख रखना चाहिए।
- पालतू पशुओं की प्रजाति तथा संख्या और कीमत जिन्हें विक्रय हेतु प्रायोजित किया जाना है. एक रजिस्टर में रखनी होगी।
- पालतू पशु दुकान स्वामी द्वारा स्वास्थ्य रिकॉर्ड रखना चाहिए, जिसके अंतर्गत टीकाकरण के विवरण भी हो।
- समय-समय पर पशुपालक की दुकान का निरीक्षण किया जायेगा तथा निरीक्षण की रिपोर्ट राज्य बोर्ड को प्रस्तुत करनी होगी।
- यदि निरीक्षण के दौरान किसी पशु के बीमार होने की या किसी प्रकार का कष्ट का अनुभव करने की आशंका है, तो निरीक्षक खराब स्वास्थ्य का प्रमाणपत्र देने के लिए पालतू पशु दुकान स्वामी से यह अपेक्षा करेगा कि बीमार पशु के लिए चिकित्सा देखभाल की व्यवस्था करे एवं सात दिन के अंदर स्वास्थ्य रिपोर्ट प्रस्तुत करे। यदि निरीक्षक स्वास्थ्य रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है तो वह पालतू पशु का अधिगृहण कर लेगा।
- यदि निरीक्षक द्वारा पालतू पशु दुकान के निरीक्षण के दौरान नियमों का कोई उल्लंघन पाया जाता है, तो राज्य बोर्ड पालतू पशु दुकान स्वामी को एक नोटिस जारी करेगा, जिसकी प्राप्ति के 15 दिन के भीतर बोर्ड को कारण बताना पडेगा कि उसका पंजीकरण क्यों न रद्द कर दिया जाए।
- प्रत्येक वर्ष की समाप्ति पर पंजीकृत पालतू पशु दुकानदार राज्य बोर्ड को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा, जिसमें पूर्व वर्ष के दौरान विक्रय किये गए, व्यापार किये गए, अदला बदली किये गये, दान किये गए, प्रदर्शित किये गए या मरे गए पशुओं की कुल संख्या के बारे में जानकारी हो।
- पालतू पशु दुकान स्वामी यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसा प्रदायकर्ता जो पक्षियों और पशुओं की आयातित विदेशी नस्लों का प्रदाय करता है, विदेश व्यापार महानिदेशक से सभी आवश्यक अनुमोदन या अनुज्ञप्ति या दोनों, प्रादेशिक या राज्य पशु करतीन और प्रमाणन सेवाओं से स्वच्छता आयात अनुज्ञापत्र और अनुज्ञा प्राप्त करने के पश्चात इन पशुओं का आयात कर रहा है और पालतू पशु स्वामी स्वयं अपना समाधान करेगा कि जीवित पशुओं का आयात विधिक एवं समुचित चैनलों के माध्यम से किया गया है।
ऐसी अपेक्षा की जाती है कि पालतू पशु दुकान स्वामी पशुओं के प्रति दया का भाव रखते हुए अपने धन अर्जन के लिए नियमानुसार व्यवसाय करेगा।
डॉ अमीषी, डॉ यामिनी वर्मा, डॉ मघु स्वामी डॉ एंव अमिता दूबे
व्याधि विज्ञानविभाग, पशु चिकित्सा एवम् पशुपालन महाविद्यालय,
नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्व विद्यालय, जबलपुर (मध्य प्रदेश)