दुधारू पशुओं के संतुलित आहार, दाना मिश्रण कैसे बनायें

0
7094
HOW TO MAKE BALANCE RATION AT HOME FOR DAIRY CATTLE
HOW TO MAKE BALANCE RATION AT HOME FOR DAIRY CATTLE
दुधारू पशुओं के संतुलित आहार( दाना मिश्रण) कैसे बनायें
Post no 1121 Dt 26 /02/2019

Compiled & shared by-DR. RAJESH KUMAR SINGH, (LIVESTOCK & POULTRY CONSULTANT), JAMSHEDPUR, JHARKHAND,INDIA

9431309542, rajeshsinghvet@gmail.com
अकसर ये देखने मे आता है की नए पशुपालक डाइरी
फार्म तो खोल लेते है ,लेकिन उनका डाइरी फार्म सक्सेस नहीं हो पता है एसका मुखया कारण है उनका दुधारू पशुओ के वास्ते संतुलित आहार संबंधी ज्ञान की कमी ,ईस लेख मे हमारा प्रयास है की सामान्य भाषा मे आशान तरीके से ईसे प्रस्तुत किया जाय।
पशु को 24 घण्टों में खिलाया जाने वाला आहार (दाना व चारा) जिसमें उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु भोज्य तत्व मौजूद हों, पशु आहार कहते है। जिस आहार में पशु के सभी आवश्यक पोषक तत्व उचित मात्रा में उपलब्ध हों, उसे संतुलित आहार कहते हैं।
संतुलित आहार उस भोजन सामग्री को कहते हैं जो किसी विशेष पशु की 24 घन्टे की निर्धारित पौषाणिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। संतुलित राशन में कार्बन, वसा और प्रोटीन के आपसी विशेष अनुपात के लिए कहा गया है। सन्तुलित राशन में मिश्रण के विभिन पदाथो की मात्रा मौसम और पशु भार तथा उसकी उत्पादन क्षमता के अनुसार रखी जाती है। एक राशन की परिभाषा इस प्रकार की जा सकती है ‘एक भैंस 24 घण्टे में जितना भोजन अन्तगर््रहण करती है, वह राशन कहलाता है।’ डेरी राशन या तो संतुलित होगा या असंतुलित होगा। असंतुलित राशन वह होता है जोकि भैंस को 24 घण्टों में जितने पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है वह देने में असफल रहता है जबकि संतुलित राशन ‘ठीक’ भैंस को ‘ठीक’ समय पर ‘ठीक’ मात्रा में पोषक तत्व प्रदान करता है। संतुलित आहार में प्रोटीन, कार्बोहार्इड्रेट, मिनरल्स तथा विटामिनों की मात्रा पशु की आवश्यकता अनुसार उचित मात्रा में रखी जाती है |
.
गाय /भैंस को जो आहार खिलाया जाता है, उसमें यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि उसे जरूरत के अनुसार शुष्क पदार्थ, पाचक प्रोटीन तथा कुल पाचक तत्व उपलब्ध हो सकें। भैंस में शुष्क पदार्थ की खपत प्रतिदिन 2.5 से 3.0 किलोग्राम प्रति 100 किलोग्राम शरीर भार के अनुसार होती है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि 400 किलोग्राम वजन की भैंस को रोजाना 10-12 किलोग्राम शुष्क पदार्थ की आवश्यकता पड़ती है। इस शुष्क पदार्थ को हम चारे और दाने में विभाजित करें तो शुष्क पदार्थ का लगभग एक तिहार्इ हिस्सा दाने के रूप में खिलाना चाहिए।
.
उत्पादन व अन्य आवश्यकताओं के अनुसार जब हम पाचक प्रोटीन और कुल पाचक तत्वों की मात्रा निकालते हैं तो यह गणना काफी कठिन हो जाती है। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि जो चारा पशु को खिलाया जाता है उसमें पाचक प्रोटीन और कुल पाचक तत्वों की मात्रा ज्ञात करना किसान के लिए लगभग असंभव है। ऐसा इसलिए है कि पाचक प्रोटीन और कुल पाचक तत्वों की मात्रा प्रत्येक चारे के लिए अलग होती है। यह चारे की उम्र/परिपक्वता के अनुसार बदल जाती है। अनेक बार उपलब्धता के आधार पर कर्इ प्रकार का चारा एक साथ मिलाकर खिलाना पड़ता है। किसान चारे को कभी भी तोलकर नहीं खिलाता है। इन परिस्थितियों में सबसे आसान तरीका यह है कि किसान द्वारा खिलाये जाने वाले चारे की गणना यह मान कर की जाये की पशु को चारा भरपेट मिलता रहे। अब पशु की जरूरत के अनुसार पाचक प्रोटीन और कुल पाचक तत्वों में कमी की मात्रा को दाना मिश्रण देकर पूरा कर दिया जाता है। इस प्रकार गाय /भैंस को खिलाया गया आहार संतुलित हो जाता है।
संतुलित दाना मिश्रण कैसे बनायें :————-
======================
पशुओं के दाना मिश्रण में काम आने वाले पदार्थों का नाम जान लेना ही काफी नही है। क्योंकि यह ज्ञान पशुओं का राशन परिकलन करने के लिए काफी नही है। एक पशुपालक को इस से प्राप्त होने वाले पाचक तत्वों जैसे कच्ची प्रोटीन, कुल पाचक तत्व और चयापचयी उर्जा का भी ज्ञान होना आवश्यक है। तभी भोज्य में पाये जाने वाले तत्वों के आधार पर संतुलित दाना मिश्रण बनाने में सहसयता मिल सकेगी। नीचे लिखे गये किसी भी एक तरीके से यह दाना मिश्रण बनाया जा सकता है, परन्तु यह इस पर भी निर्भर करता है कि कौन सी चीज सस्ती व आसानी से उपलब्ध है।
सौ किलो संतुलित दाना बनाने की विधि———
दाना (मक्का, जौ, गेंहू, बाजरा) इसकी मात्रा लगभग 35 प्रतिशत होनी चाहिए। चाहें बताए गए दाने मिलाकर 35 प्रतिशत हो या अकेला कोई एक ही प्रकार का दाना हो तो भी खुराक का 35 प्रतिशत दे। खली(सरसों की खल, मूंगफली की खल, बिनौला की खल, अलसी की खल) की मात्रा लगभग 32 किलो होनी चाहिए। इनमें से कोई एक खली को दाने में मिला सकते है। चोकर(गेंहू का चोकर, चना की चूरी, दालों की चूरी, राइस ब्रेन,) की मात्रा लगभग 35 किलो। खनिज लवण की मात्रा लगभग 2 किलोनमक लगभग 1 किलो इन सभी को लिखी हुई मात्रा के अनुसार मिलाकर अपने को पशु को खिला सकते है।
1. मक्का/जौ/जर्इ 40 किलो मात्रा
बिनौले की खल 16 किलो
मूंगफली की खल 15 किलो
गेहूं की चोकर 25 किलो
मिनरल मिक्सचर 02 किलो
साधारण नमक 01 किलो
कुल 100 किलो
2. जौ 30 किलो
सरसों की खल 25 किलो
बिनौले की खल 22 किलो
गेहूं की चोकर 20 किलो
मिनरल मिक्सचर 02 किलो
साधारण नमक 01 किलो
कुल 100 किलो
3. मक्का या जौ 40 किलो मात्रा
मूंगफली की खल 20 किलो
दालों की चूरी 17 किलो
चावल की पालिश 20 किलो
मिनरल मिक्सचर 02 किलो
साधारण नमक 01 किलो
कुल 100 किलो
4. गेहूं 32 किलो मात्रा
सरसों की खल 10 किलो
मूंगफली की खल 10 किलो
बिनौले की खल 10 किलो
दालों की चूरी 10 किलो
चौकर 25 किलो
मिनरल मिक्सचर 02 किलो
नमक 01 किलो
कुल 100 किलो
5. गेहूं, जौ या बाजरा 20 किलो मात्रा
बिनौले की खल 27 किलो
दाने या चने की चूरी 5 किलो
बिनौला 15 किलो
आटे की चोकर 20 किलो
मिनरल मिक्सचर 02 किलो
नमक 01 किलो
कुल 100 किलो
ऊपर दिया गया कोर्इ भी संतुलित आहार भूसे के साथ सानी करके भी खिलाया जा सकता है। इसके साथ कम से कम 4-5 किलो हरा चारा देना आवश्यक है।
दाना मिश्रण के गुण व लाभ.————
==================
• यह स्वादिष्ट व पौष्टिक है।
• ज्यादा पाचक है।
• अकेले खल, बिनौला या चने से यह सस्ता पड़ता हैं।
• पशुओं का स्वास्थ्य ठीक रखता है।
• बीमारी से बचने की क्षमता प्रदान करता हैं।
• दूध व घी में भी बढौतरी करता है।
• भैंस ब्यांत नहीं मारती।
• भैंस अधिक समय तक दूध देते हैं।
• कटडे या कटड़ियों को जल्द यौवन प्रदान करता है।
संतुलित दाना मिश्रण कितना खिलायें:—————-
वैसे तो पशु के आहार की मात्रा का निर्धारण उसके शरीर की आवश्यकता व कार्य के अनुरूप तथा उपलब्ध भोज्य पदार्थों में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के आधार पर गणना करके किया जाता है लेकिन पशुपालकों को गणना कार्य की कठिनाई से बचाने के लिए थम्ब रूल को अपनाना अधिक सुविधा जनक है। इसके अनुसार हम मोटे तौर पर वयस्क दुधारू पशु के आहार को तीन वर्गों में बांट सकते हैं।
1. जीवन निर्वाह के लिए आहार
2. उत्पादन के लिए आहार
3. गर्भावस्था के लिए आहार
1. जीवन निर्वाह के लिए आहारः-
यह आहार की वह मात्रा है जिसे पशु अपने शरीर को स्वतः रखने के लिये दिया जाता है। इसे पशु अपने शरीर के तापमान को उचित सीमा में बनाए रखने, शरीर की आवश्यक क्रियायें जैसे पाचन क्रिया, रक्त परिवहन, श्वसन, उत्सर्जन, चयापचय आदि के लिए काम में लाता हैं। इससे उसके शरीर का वजन भी एक सीमा में स्थिर बना रहता हैं। चाहे पशु उत्पादन में हो या न हो इस आहार को उसे देना ही पडता है इसके अभाव में पशु कमजोर होने लगता है जिसका असर उसकी उत्पादकता तथा प्रजनन क्षमता पर पडता है। इस में देशी गाय के लिए तूडी अथवा सूखे घास की मात्रा 4 किलो तथा संकर गाय व शुद्ध नस्ल के लिए यह मात्रा 4 से 6 किलो तक होती है। इसके साथ पशु को दाने का मिश्रण भी दिया जाता है जिसकी मात्रा स्थानीय देशी गाय के लिए 1 से 1.25 किलो तथा संकर गाय, शुद्ध नस्ल की देशी गाय या भैंस के लिए इसकी मात्रा 2.0 किलो रखी जाती है।
2. उत्पादन के लिए आहार
पशुओं से अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए उन्हें पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक चारे की आवश्यकता होती है। उत्पादन आहार पशु आहार की वह मात्रा है जिसे कि पशु को जीवन निर्वाह के लिए दिये जाने वाले आहार के अतिरिक्त उसके दूध उत्पादन के लिए दिया जाता है। इसमें स्थानीय गाय (देशी) के लिए प्रति 2.5 किलो दूध के उत्पादन के लिए जीवन निर्वाह आहार के अतिरिक्त 1 किलो दाना देना चाहिए, जबकि संकर/देशी दुधारू गायों/भैंसों के लिए यह मात्रा प्रति 2 किलो दूध के लिए दी जाती है। यदि हरा चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है तो हर 10 किलो अच्छे किस्म के हरे चारे को देकर 1 किलो दाना कम किया जा सकता है। इससे पशु आहार की कीमत कुछ कम हो जाएगी। पशु को दुग्ध उत्पादन तथा आजीवन निर्वाह के लिए साफ पानी दिन में कम से कम तीन बार जरूर पिलाना चाहिए।
3. गर्भावस्था के लिए आहार
पशु की गर्भावस्था में उसे 5वें महीने से अतिरिक्त आहार दिया जाता है क्योंकि इस अवधि के बाद गर्भ में पल रहे बच्चे की वृद्धि बहुत तेजी के साथ होने लगती है। अतः गर्भ में पल रहे बच्चे की उचित वृद्धि व विकास के लिए तथा गाय/भैंस के अगले ब्यांत में सही दुग्ध उत्पादन के लिए इस आहार का देना नितांत आवश्यक है। इसमें स्थानीय गायों (देशी) के लिए 1.25 किलो तथा संकर नस्ल की गायों व भैंसों के लिए 1.75 किलो अतिरिक्त दाना दिया जाना चाहिये। इसके लिये जेबू नस्ल के पशओं में 3 किलो तथा संकर गायों व भैंसों में 4-5 किलो दानें की मात्रा पशु की निर्वाह आवश्यकता के अतिरिक्त दिया जाना चाहिए। इससे पशु अगले ब्यांत में अपनी क्षमता के अनुसार अधिकतम दुग्धोत्पादन कर सकते हैं।
=========================
1. शरीर की देखभाल के लिए:
• गाय के लिए 1.5 किलो प्रतिदिन व भैंस के लिए 2 किलो प्रतिदिन
2. दुधारू पशुओं के लिए:
• गाय प्रत्येक 2.5 लीटर दूध के पीछे 1 किलो दाना
• भैंस प्रत्येक 2 लीटर दूध के पीछे 1 किलो दाना
3. गाभिन गाय या भैंस के लिए:
• 6 महीने से ऊपर की गाभिन गाय या भैंस को 1 से 1.5 किलो दाना प्रतिदिन फालतू देना चाहिए।
4. बछड़े या बछड़ियों के लिए:
• 1 किलो से 2.5 किलो तक दाना प्रतिदिन उनकी उम्र या वजन के अनुसार देना चाहिए।
5. बैलों के लिए:
• खेतों में काम करने वाले भैंसों के लिए 2 से 2.5 किलो प्रतिदिन
• बिना काम करने वाले बैलों के लिए 1 किलो प्रतिदिन।
नोट : जब हरा चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो तो उपरलिखित कुल देय दाना 1/2 से 1 किलो तक घटाया जा सकता है।
चारे में आमतौर सबसे ज्यादा भूसे का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बहुत कम पौष्टिक तत्व होते हैं। पशु को सही पोषण मिले इसके लिए राइस ब्रैन, चोकर और चना दिया जाना ज़रूरी है। साथ ही हरे चारे को उसके आहार में जरूर शामिल करें जो कि सूखे चारे से ज्यादा अच्छा होता है। अच्छी नस्ल की मुर्रा भैंस या होल्सटीन फ्रीजियन गाय का वजन 450 से 500 किग्रा है। उसे अच्छी सेहत और पर्याप्त मात्रा में दूध उत्पादन के लिए हर 100 किग्रा भार पर 2.5 किग्रा सूखा चारा देने की जरूरत होती है। करीब 12.5 किग्रा पशु के एक दिन के आहार में शामिल होना चाहिए। इसमें सूखे और हरे चारे का अनुपात 50:50 फीसदी यानि बराबर होना चाहिए। जब पशु दूध के लिए तैयार हो रहा हो तो उसके संतुलित आहार में सूखा चारा, हरा चारा और दाना मिलाकर देना जरूरी है। जिसमें सूखा चारा 6.5 किग्रा, हरा चारा करीब 30 किग्रा और दाना एक किग्रा हर रोज देेना चाहिए। जब पशु दूध देने लायक हो जाए तो सूखा चारा और हरा चारा उतना ही रखें पर दाने को बढ़ा कर चार किलो और गर्भावस्था में दाना घटा कर दो किलो कर दें।
हरा चारा
हरा चारा पशु चाव से खाते हैं। यह सूखे चारे की अपेक्षा जल्दी पचता है। दूध का उत्पादन बढ़ाता है। इसमें सूडान घास, बाजरा, ज्वार, मकचरी, जई और बरसीम आदि शामिल हैं। पशुपालकों को चाहिए कि वो हरे चारे में दलिया या दलहनी दोनों तरह के चारे शामिल करें। इससे पशुओं में प्रोटीन की कमी बड़ी आसानी से पूरी की जा सकती है।
आठ से 10 घंटे के अंतर पर चारा ज़रूरी
खाने में सूखा चारा, हरा चारा, और पशु आहार को शामिल करें ताकि सभी पोषक तत्व सही मात्रा में मिल सकें। फलीदार सब्जी भी लाभकारी होती है। बरसीम, रिजका, ग्वार आदि सूखे चारे में मिला कर खिलाएं। इन फलियों को बिना चारे के खिलाने से पाचन क्रिया में गड़बडी और अफारा रोग होने की संभावना होती है। पशु एक दिन में 35 से 40 लीटर पानी पीता है। इसलिए साफ पानी हमेशा उपलब्ध होना चाहिए। आहार में प्रोटीन पशुओं की बढ़त और अच्छी सेहत के लिए, कार्बोहाइडे्रट शक्ति देता है और शरीर को गर्म रखने में मदद करता है। ये तन्दुरूस्ती व उचित प्रजनन के लिए जरूरी होता है। टूटे हुए गेहूं, ज्वार या बाजरे की दलिया को अच्छी तरह उबाल कर नमक, गुड़ या शीरे में मिलाकर खली, खनिज लवण के साथ देने से अच्छा उत्पादन मिल सकता है।
आईएसआई निर्धारित पशु आहार के मानक
20-21 फीसदी प्रोटीन
2.5-3 फीसदी चिकनाई
1 फीसदी कैल्शियम
0.5 फीसदी फास्फोरस
4 फीसदी सेड सिलिका
12 फीसदी फाइबर
3 फीसदी खनिज लवण
5000 आईयू /केजी विटामिन ए /डी
2.5-3 फीसदी चिकनाई
1 फीसदी कैल्शियम
0.5 फीसदी फास्फोरस
4 फीसदी सेड सिलिका
12 फीसदी फाइबर
3 फीसदी खनिज लवण
5000 आईयू /केजी विटामिन ए /डी
Please follow and like us:
Follow by Email
Facebook

Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON
READ MORE :  POSSIBLE EFFECT OF A1 MILK ON HUMAN HEALTH