दुधारू पशुओं की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हेतु उपयोग में आने वाली कुछ मुख्य बातें

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दुधारू पशुओं की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हेतु उपयोग में आने वाली कुछ मुख्य बातें

डॉ संजय कुमार मिश्र
पशु चिकित्सा अधिकारी चौमुंहा मथुरा
dr_sanjayvet@rediffmail.com
Mobile:9410077202

१.दुधारू गायों- भैंसों का दूध निकालने के लिए जब आप बच्चा छोड़ते हैं तो बच्चा छोड़ने से पहले थनों को अच्छी तरह से साफ पानी या एंटीसेप्टिक के घोल जैसे पोटेशियम परमैंगनेट १:१००० के घोल, से धोना चाहिए । इससे बच्चे की पाचन क्रिया एवं पेट खराब करने वाले जीवाणु से दस्त लगने की संभावना कम हो जाती है।(सफेद दस्त बच्चों की एक घातक बीमारी है)। बच्चे को उसके भार के अनुसार दूध पहले ही पिलाएं। दूध निकालने के बाद बच्चे को दूध के लिए नहीं छोड़े। इससे बच्चे द्वारा मां की अयन व थनों, मे चोट व घाव बन जाते है जो अंततोगत्वा संक्रमण के कारण थनैला रोग बनाते हैं।
२.दूध निकालने के बाद भी थनों को अच्छी तरह पोटेशियम परमैग्नेट के घोल से धोकर अच्छी तरह पोंछ देना चाहिए, इससे थनैला नामक बीमारी होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है। थनैला दुधारू पशुअों की एक घातक बीमारी है जिससे अधिकतर पशुओं के थन खराब होने की संभावना बनी रहती है।
३.गाय या भैंस के बच्चे के पैदा होने के आधा घंटे के अंदर ही बच्चे को उसकी मां का दूध अवश्य पिला देना चाहिए। इससे बच्चे में बीमारियों से लड़ने की रोग प्रतिरोधक शक्ति विकसित हो जाती है। जितनी अधिक देर से दूध पिलाएंगे उतनी ही शक्ति कम विकसित होगी तथा बच्चा पहला मल या मीकोनियम, निकालने में समर्थ हो सकेगा।
४.पशु के ब्याने के बाद यदि पशु बैठने में असमर्थ हो तो उसका दूध निकालने से पशु का अयन का दबाव कम होगा तथा पशु जेर डाल देगा।
हाइपोर्कैल्सीमिया, या मिल्क फीवर से बचाने के लिए ताजी ब्याई गाय या भैंस का पहले चार-पांच दिनों तक पूरा दूध ना निकाले। पशु के ब्याने के के एकदम बाद थोड़ा दूध निकालने से जेर डालने में आसानी होती है क्योंकि दूध निकालने एवं बच्चों को दूध पिलाने से पशु की पीयूष ग्रंथि से ऑक्सीटॉसिन नामक हार्मोन स्रावित होता है जो गर्भाशय एवं अयन की मांसपेशियों को संकुचित करता है जिसके कारण जेर आसानी से गर्भाशय की अंदरूनी परत से छूट कर स्वत: ही बाहर निकल जाती सहै, एवं गाय या भैंस को दूध उतारने या पवासने में भी आसानी होती है।
५.पशु के ब्याने के बाद गाय या भैंस अगर 8 घंटे के अंदर जेर ना डालें तो नजदीकी पशु चिकित्सक से सलाह लें।
६.पशु के ब्याने के समय पानी की थैली बाहर आने के बाद 40 मिनट के अंदर यदि बच्चे का मुंह या पैर ना दिखाई दे तो तत्काल पशु चिकित्सक से जांच कराए।
७.ब्याने के बाद 60 से 90 दिन तक अगर गाय या भैंस गर्मी में ना आए तो तुरंत अपने पशु चिकित्सक को दिखाएं अन्यथा देर करने पर आपको अगले ब्यांत में, दूध देर से मिलेगा जिससे आप का आर्थिक नुकसान होगा

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