पशुओं के मूत्र तंत्र की पथरी (Urolithiasis) का ईलाज

0
583
TREATMENT AND PREVENTIVE CARE OF UROLITHIASIS IN ANIMALS

पशुओं के मूत्र तंत्र की पथरी (Urolithiasis) का ईलाज

परिचय

गुर्दे की पथरी एक आम समस्या  है, जिसे किडनी स्टोन (Kidney stone)रीनल कॅल्क्युली (Renal calculi) या नेफ्रोलिथियासिस (nephrolithiasis) भी कहा जाता है। यह मिनरल्स और नमक से बनी होती है | Kidney Stone Analysis टेस्ट से ये पता लगाया जा सकता की गुर्दे में स्टोन किस पर्दार्थ से बना हुआ है |

किडनी का काम होता है खून को शुद्ध करना और अनाव्यश्यक पर्दार्थो को पेशाब द्वारा शरीर से निकलना | जब शरीर में कैल्शियम (calcium), ऑक्सालेट (oxalate), यूरिक एसिड (uric acid) और सिस्टिन (cystine) जैसे पर्दार्थो की संख्या बढ़ जाती है तो इनकी मात्रा शरीर में बढ़ जाती है | इन  पर्दार्थो की मात्रा बढ़ने से गुर्दे में क्रिस्टल बन जाते है जो धीरे धीरे बड़े होने लगते हो और स्टोन का रूप ले लेते है |

गुर्दे की पथरी बेहद दर्दनाक हो सकती है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह बीमारी भयंकर रूप ले सकती है |

मूत्र तंत्र की पथरी (Urolithiasis) :-

मूत्र तंत्र में विभिन्न आकार के कार्बनिक तथा अकार्बनिक लवणों की उपस्थिति मूत्र तंत्र की पथरी कहलाती है। मूत्र तंत्र की पथरी गुर्दों, मूत्रवाहिनी (Ureter), मूत्राशय अथवा मूत्रनाल में हो सकती है।

कारण

(1) बहुत समय तक मूत्राशय में मूत्र का भरे रहना।

(2) मूत्र में कैल्सियम, मैग्नीशियम तथा अमोनियम के कार्बोनेट तथा फॉस्फेट लवणों की अधिकता से ।

(3) कुछ चारों में आक्जेलेट, ईस्ट्रोजन व सिलीका की उपस्थिति के कारण।

(4) शरीर में पानी की कमी तथा कम पानी पीने के कारण।

READ MORE :  CONCEPT OF RING VACCINATION TO CONTROL FMD IN ANIMALS

(5) सल्फा दवाओं का अधिक समय तक उपयोग करने के कारण।

(6) विटामिन ‘ए’ की कमी के कारण।

लक्षण – मूत्र तन्त्र की पथरी के लक्षण, पथरी मूत्र तन्त्र के किस अंग में है, इस पर निर्भर करते हैं-

(क) गुर्दे की पथरी (Renal Calculi) – गुर्दे में पथरी होने पर कोई विशेष लक्षण दिखाई नहीं देते हैं या पथरी का आकार बालू के कणों के बराबर होता है। गुर्दे की पथरी मूत्र में मिल जाती है।

(ख) मूत्राशय की पथरी (Cystic Calculi) – मूत्राशय में पथरी एक या अधिक, छोटी या बड़ी हो सकती है। पशु को पेशाब करने में कष्ट होता है। पशु के उदर भाग में दर्द रहता है। पशु लेटकर पैरों को पेट की तरफ चलाता है। पेशाब के साथ कभी-कभी रक्त भी आता है।

(ग) मूत्रनाल की पथरी :- मूत्रनाल की पथरी होने पर या तो मूत्र बूँद-बूँद कर आता है या पूरी तरह रुक जाता है। सांड, भैंस, मैंडा व बकरा में लिंग के अंग्रेजी के ‘S’ के आकार का होने के कारण यह स्थिति अधिक मिलती है। कुछ समय बाद मूत्राशय मूत्र से अधिक भर जाने के कारण मूत्राशय फट जाता है तथा मूत्र पैल्विक कैविटी तथा एब्डोमिनल कैविटी में भर जाता है। रक्त में यूरिया की मात्रा बढ़ जाती है (Uraemia) जिससे पशु सुस्त हो जाता है तथा पशु चारा खाना बन्द कर देता है। पशु की मृत्यु हो जाती है।

निदान:- लक्षणो के आधार पर रोग़ निदान किया जाता हैँ | मूत्र में लवणों के क्रिस्टल मिलने पर रोग का निदान होता है। पशु का पेशाब बन्द होने पर मूत्रनाल की पथरी का निदान होता हैँ |

READ MORE :  The Common Diseases of Goat in Punjab and their Prevention

चिकित्सा– मूत्र तन्त्र की पथरी की चिकित्सा इस बात पर निर्भर करती है कि पथरी मूत्र तन्त्र के किस अंग में उपस्थित है।

(क) गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी का ईलाज :-

  1. पशु को खूब मात्रा में पानी पिलाना चाहिए।
  2. मूत्रल दवाओं में से किसी एक दवा का प्रयोग करना चाहिए।
  3. दर्दहारी दवाओं में से किसी एक का प्रयोग करें।
  4. बहुक्षेत्रीय एण्टीबायोटिक; जैसे- पैनिसिलीन्स, क्विनोलोन्स में से किसी एक दवा का प्रयोग करें
  5. विटामिन बी काम्पलैक्स इंजेक्शन में से किसी एक दवा का प्रयोग करें।
  6. गाय-भैंस को अमोनियम क्लोराइड (नौसादर) 10-15 ग्राम दिन तीन बार खिलायें।
  7. गंभीर स्थिति में सिस्टोटोमी (मूत्राशय की शल्यक्रिया) आवश्यक है।

(ख) मूत्रनाल की पथरी का ईलाज :-

यदि मार्ग की पथरी द्वारा पेशाब रुक गया है तो यह गम्भीर समस्या है, क्योंकि मूत्र यदि मूत्राशय में मूत्र भरने के दबाव से मूत्राशय फट गया तो पशु की मृत्यु निश्चित है। इस स्थिति की चिकित्सा मूत्रनाल की शल्यचिकित्सा द्वारा पथरी को निकालना ही है। इस स्थिति में पशु को पानी नहीं पिलाना चाहिए। मूत्रल दवाओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। पशु को डैक्सट्रोज सेलाइन नहीं दिया जाना चाहिए। दर्द होने की स्थिति में पशु को दर्दहारी दवाओं में से किसी एक का प्रयोग कर सकते हैं।

Compiled  & Shared by- This paper is a compilation of groupwork provided by the

Team, LITD (Livestock Institute of Training & Development)

 Image-Courtesy-Google

 Reference-On Request

Disclaimer: This blog is vet-approved and includes original content which is compiled after thorough research and authenticity by our team of vets and content experts. It is always advisable to consult a veterinarian before you try any products, pet food or any kind of treatment/medicines on your pets, as each pet is unique and will respond differently.

 

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON