यूरिया मोलासेस मिनरल ब्लॉक: हरे चारा के विकल्प के रूप में
श्रुति गर्ग1, कविता ए.शेंडे2 अमित,3
एम. वी. सी. स्कॉलर1&3, पशु पोषण विभाग, उदयपुर
सहायक आचार्य,पशु पोषण विभाग, उदयपुर
कॉलेज ऑफ वेटरिनरी एंड एनिमल साइंस, नवानिया, उदयपुर
E mail: -gargshruti686@gmail.com
भारत एक कृषि प्रधान देश है, यहां भौगोलिक विभिन्नताओं के कारण विभिन्न स्थानों पर विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन होता हैं। पशुपालन, कृषि पर आधारित हैं, जहां पशु अपने शरीर की पोषण की आपूर्ति,कृषि से करता है |
अगर राजस्थान जैसे राज्य की बात की जाए , जहां पानी की कमी, सूखा , फसलों( हरे चारा )का अभाव, ऐसे में पशु पोषक तत्वों की आपूर्ति कहा से करे ? अगर बिहार क्षेत्र की बात करे तो , वहां 12 नदियों का प्रवाह है, अत: वहां हमेशा बाढ़,की संभावना बनी रहती है, ऐसे में पशु के पोषक तत्वों की आपूर्ति कैसे की जाए।
यूरिया खिलाना क्यों जरूरी है
यूरिया एक नाइट्रोजेनस यौगिक है, खिलाने के बाद यह प्रोटीन की कमी को पूरा करता है, तथा पेट (रुमेन) में सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाता है जो प्रोटीन का निर्माण करते है|
पशु आहार मुख्यत: रेशेदार चारा जैसे परिपक्व घास और फसलों के अवशेषों पर आधारित होते है परन्तु इन आहार में खनिज तत्वों व विटामिन्स की कमी पाई जाती हैं इसलिए इनकी पाचनशीलता कम हो जाती है| सूखे के समय में किसान पशु आहार में भारी मात्रा में रेशेदार फीड जैसे कि भूसा और सूखे घास खिलाते है परन्तु इसमें प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों की कमी होती है|
ऐसे में पाचनशीलता को बढ़ाने, प्रोटीन, खनिज तत्व, और विटामिन की आपूर्ति को बढ़ाने के लिए यूरिया का सेवन कराया जा सकता है|
यूरिया किस प्रकार से खिलाए:
- खराब गुणवत्ता वाले चारे या भूसा पर यूरिया का छिड़काव करके
- यूरिया मोलासेस मिनरल ब्लॉक के रूप मे
- यूरिया दाने के साथ
- यूरिया गुड के साथ
यूरिया मोलासेस मिनरल ब्लॉक (चॉकलेट)के रूप मे: यू.म.म.बी.
पशु, यूरिया मोलासेस मिनरल ब्लॉक को चाटकर, अपनी दैनिक पोषक आवश्यकताओं की आपूर्ति करते हैं।इन ब्लॉकों में उपयोग किए जाने वाले यूरिया का स्तर आम तौर पर 7- 10% है, इससे अधिक मात्रा में सेवन करने से यह विषाक्ता कर सकता हैं। सूखे ब्लॉक में 15% से ज्यादा नमी(पानी) नहीं होनी चाहिए| यूरिया मोलासेस मिनरल ब्लॉक (यूएमएमबी) रेशेदार फ़ीड की पाचनशक्ति को 20 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।ब्लॉक बनाने में गेहूं का चोकर, कॉटन सीड,राइस ब्रान (चावल का चोकर ), सरसों की खल इत्यादि का प्रयोग कर सकते हैं|
यूरिया मोलासेस खनिज ब्लाक बनाने में निम्नलिखित अवयवों का उपयोग किया जाता है-
- यूरिया 7-10%
- शीरा या गुड़ 40-45%
- सीमेंट 5-10%
- खनिज लवण 1-4%
- नमक 1-2%
- गेंहू का चोकर 35-40%
- विटामिन ए 10 ग्राम प्रति 100 kg चॉकलेट
यूरिया मोलासेस मिनरल ब्लॉक (चॉकलेट) बनाने की प्रक्रिया:
1 लीटर पानी ले, और इसे एक बड़े कटोरे में पानी को डालें
अब इसमें 200ग्राम यूरिया को मिलाए
फिर 40 ग्राम खनिज मिश्रण व 20 ग्राम नमक तथा 200 मिलीग्राम विटामिन ए और डी मिलाए
अब 200ग्राम सीमेंट को धीरे धीरे इस मिश्रण में डालें और अच्छे से मिलाए|
मिलाने के बाद 750 ग्राम शीरे (मोलासेस) को मिलाए
अन्त में 850ग्राम गेहूं के चोकर को मिश्रण में मिलाए
अब इस संपूर्ण मिक्सचर को अच्छे से मिलाकर तोले
सांचे में डाल कर जोर से दबाना (प्रेशिंग) है,इसके बाद में सूखना हैं|
इस प्रकार आप 2-3 kg तक के ब्लॉक बना सकते है। ब्लॉक का साइज 245*150*65mm रखा जा सकता हैं|
पशु चॉकलेट के लाभ:
- दुग्ध उत्पादन को बढ़ाता है |
- ब्लॉक को पचाया जा सकता है पशु इसे चाटकर खाता है|
- हरे चारे की कम उपलब्धता वाले क्षेत्रों में यूरिया मोलासिस मिनरल ब्लॉक बहुत ही उपयोगी है|
- पाचन क्रिया बेहतर हो जाती है|
सावधानियां:
- यह केवल व्यस्क गाय, भैंस, भेड़,बकरी को खिलाया जाना चाहिए
- जुगाली करने वाले 6 माह से कम आयु वाले बच्चों को नहीं देना चाहिए|
- वो पशु जो जुगाली नहीं करते हैं,उनको नहीं खिलाना है|
- घोड़े और गधों को नहीं खिलाना चाहिए|
- खाली पेट नहीं खिलाना चाहिए|
- आवश्यकतानुसार भरपूर मात्रा में पानी पिलाना चाहिए|
- ब्लॉक की संरचनात्मक अवस्था बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, अर्थात मुलायम और कठोर अवस्था से है,यदि ब्लॉक बहुत मुलायम(सॉफ्ट) है, तो पशु ब्लॉक को अधिक ग्रहण करेगा जिसके परिणामस्वरूप विषाक्ता हो सकती हैं, और यदि ब्लॉक बहुत कठोर है तो,पशु आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त नहीं कर पाएगा।
- ब्लॉक को पॉलीथिन की थैली (पन्नी) से ढक/लपेट कर सूखा सकते हैं।
- ब्लॉक को सुखी जगह में स्टोर(भंडारण) करना चाहिए|
- ब्लॉक को सूखे नाँद (manger) में दिया जाना चाहिए,अधिक नमी में यह सॉफ्ट हो सकता हैं,जिसके फलस्वरूप पशु इसे निगल सकता हैं|
- भेड़ और बकरियों को खिलाए जाने वाले ब्लॉक की मात्रा 100 ग्राम/दिन तक सीमित होनी चाहिए जबकि मवेशियों के लिए यह 500-700 ग्राम/दिन तक सीमित होनी चाहिए।