ऊंट के दूध के संघटक और उपयोगिता
USES OF CAMEL MILK
दिव्यांशु पांडे1, स्नेहल मिसाळ2, अंकिता भोसले 3, नीलम पुरोहित 4, श्रुति गुप्ता 5
1,2 पशु आनुवांशिकी एवं प्रजनन विभाग, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल हरियाणा -132001
3, 4, 5 पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल हरियाणा–132001
ऊंट प्रजाति मरुस्थलीय व शुष्क क्षेत्रों में पाया जाने वाला बहुपयोगी पशुधन है। ऊंटनी का दूध केवल पोषण की दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, भारत व अन्य देशों में इसका उपयोग कई बीमारियों में बहुत लाभप्रद पाया गया है।
ऊंटनी के दूध के फायदे
लिवर के लिए अच्छा ऊंटनी का दूध.
अमेरिकन जर्नल ऑफ एथनोमेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक शोध में पाया गया है कि ऊंटनी के दूध का उपयोग लिवर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। दरअसल, लिवर की कार्यप्रणाली में कुछ खास एंजाइम को रक्त में डालना भी शामिल है। वहीं, जब किसी वायरस अटैक की वजह से लिवर डैमेज की स्थिति बनती है, तो इन एंजाइम का स्तर बढ़ जाता है।
हेपेटाइटिस-सी के मरीजों पर किए गए अध्ययन में देखा गया है कि ऊंटनी का दूध लिवर एंजाइम्स के बढ़े हुए स्तर को कम करने में मदद कर सकता है, जो कि लिवर स्वास्थ्य की दृष्टि से एक सकारात्मक संकेत है। वहीं, दूसरी ओर शोध में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि ऊंटनी का दूध बढ़े हुए ग्लोब्युलिन (ब्लड में मौजूद एक प्रकार के प्रोटीन) के स्तर को कम कर सकता है और लिवर की बीमारी के दौरान कम होने वाले टोटल प्रोटीन, प्लेटलेट्स (एक प्रकार के ब्लड सेल्स) और एल्ब्यूमिन (लिवर द्वारा बनाए जाने वाले प्रोटीन) के स्तर को बढ़ाने में भी मदद कर देता है.
मधुमेह को नियंत्रित करता है:
ऊंटनी के दूध के लाभ ब्लड शुगर (खून में शक्कर का स्तर) को नियंत्रित करने में भी मिल सकते हैं, क्योंकि इसमें एंटीहाइपरग्लाइसेमिक प्रभाव (ब्लड शुगर को कम करने वाला गुण) पाए जाते हैं ।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म द्वारा की गई रिसर्च में यह पाया गया है कि ऊंटनी का दूध लिपिड प्रोफाइल में सुधार करके और इन्सुलिन रेजिस्टेंस (जब कोशिकाएं इंसुलिन को प्रतिक्रिया देना बंद कर देती हैं, जिससे ब्लड शुगर बढ़ता है) को कम करके मधुमेह के घरेलू उपचार के रूप में काम कर सकता है
कैंसर से बचाव में मददगार:
ऊंटनी का दूध कैंसर से बचाव कर सकता है। दरअसल, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध से पता चलता है कि ऊंटनी के दूध का उपयोग ऑटोफैगी (Autophagy) को बढ़ावा देकर आंत और स्तन कैंसर कोशिकाओं पर एंटीप्रोलिफेरेटिव प्रभाव (बढ़ती कोशिकाओं को रोकने का प्रभाव) डाल सकता है। बता दें कि ऑटोफैगी सेल्स से जुड़ी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कोशिकाएं स्वयं से अनावश्यक घटकों को हटाने का काम करती हैं ।
पाठक ध्यान दें कि घरेलू उपचार कैंसर के जोखिम को कुछ हद तक कम करने में मददगार हो सकते हैं। अगर काई व्यक्ति कैंसर की चपेट में आ गया है तो डॉक्टरी इलाज करवाना सबसे जरूरी है।
किडनी के लिए ऊंटनी का दूध:
ऊंटनी का दूध अप्रत्यक्ष रूप से किडनी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, इस बात को कम ही लोग जानते हैं कि जेंटामाइसिन (बैक्टीरियल इन्फेक्शन के लिए उपयोग में लाई जाने वाली एंटीबायोटिक) का दुष्प्रभाव नेफोटॉक्सिक प्रभाव (किडनी को नुकसान पहुंचाने वाला) का कारण बन सकता है। यहां ऊंटनी का दूध प्रभावी रूप से सामने आ सकता है। एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया है कि ऊंटनी का दूध इस प्रभाव को कम कर सकता है और इसके कारण होने वाले किडनी फेल्योर और सेल डैमेज से बचाने में मदद कर देता है.
आटिज्म के लक्षणों को कम कर देता है:
आटिज्म, तंत्रिका और विकास संबंधी एक विकार है, जो संचार और बातचीत की क्षमता को बाधित करता है। यह बचपन में शुरू होता है और यह जीवन भर रह सकता है । इसके होने के पीछे कई कारण हैं, जिनमें एक नाम ऑक्सीडेटिव तनाव का भी है।
यहां ऊंटनी के दूध के लाभ देखे जा सकते हैं, क्योंकि इसमें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट विटामिन (ए, सी और ई) और मिनरल्स (मैग्नीशियम और जिंक) पाए जाते हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव को बढ़ा कर आटिज्म के लक्षण को कम करने में मदद कर सकते हैं । फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है। वहीं, आटिज्म से संबंधित पेशेंट रिपोर्ट में ऊंटनी के दूध का उपयोग से पीड़ित एक बच्चे में व्यवहारिक , भावनात्मक और बातचीत से जुड़े सकारात्मक परिवर्तन देखे गए हैं .
माइक्रोबियल संक्रमण से आराम दिलाए:
स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभदायक होने के साथ, ऊंटनी के दूध के फायदे माइक्रोबियल इंफेक्शन से लड़ने में भी देखे जा सकते हैं। इस दूध में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण एक नहीं बल्कि कई तरह के बैक्टीरिया जैसे ई.कोलाई और एस.औरियस से लड़ने में सहायक हो सकते हैं।
साथ ही, ऊंटनी के दूध में पाया जाने वाला लैक्टोपेरोक्सिडेस, – एक तरह का एंजाइम) एंटीबैक्टीरियल गतिविधि को बढ़ाकर ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया को खत्म करने का काम कर सकता है । ऊंटनी के दूध में पाए जाने वाले लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया में भी एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो कई तरह के माइक्रोबियल संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं को खत्म करने में मदद कर सकते हैं.
ऊंटनी के दूध में विटामिन, मिनरल और कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो सेहत को लाभ पहुंचाने का काम करते हैं। इसमें 3.4 प्रतिशत प्रोटीन, 3.5 प्रतिशत फैट, 4.4 प्रतिशत लैक्टोज और पानी 87 प्रतिशत पाया जाता है।
इसके अलावा, ऊंटनी के दूध की प्रति 100 ग्राम मै कही मिनरल रहते है:
जिंक : 0.53 मिलीग्राम
मैंगनीज : 0.05 मिलीग्राम
मैग्नीशियम : 10.5 मिलीग्राम
आयरन : 0.29 मिलीग्राम
सोडियम : 59 मिलीग्राम
पोटेशियम : 156 मिलीग्राम
कैल्शियम : 114 मिलीग्राम
इन सभी मिनरल्स के साथ, ऊंटनी का दूध कई तरह के विटामिन से भी समृद्ध होता है, जैसे विटामिन-ए, बी, सी, डी और विटामिन-ई।
ऊंटनी के दूध का उपयोग पीने के साथ ही, कॉफी, चाय, स्मूदी, सॉस, सूप, मैक एंड चीज, पैनकेक और वैफल्स बनाने में किया जा सकता है। इसके अलावा, ऊंटनी के दूध की मदद से पनीर, योगर्ट और बटर भी बनाया जाता है ।
- ऊंट के दूध के घटक :
- पानी -८६.५%
- वसा – ४.५%
- प्रोटीन-४.०%
- लैक्टोस – ५.६%
- राख -०.९%
संक्षिप्त सार
उंट का दूध कई बिमरियो के लिये जैसे की कैंसर, मधुमेह, किडनी की बीमारी आदि बहोत बीमारियों के लिए फायदेमन है।
इसमें मिनरल विटामिन वसा प्रोटीन लैक्टोज भी अच्छे मात्रा मैं है।इसका सेवन करने से कई बीमारियों से बचने का फायदा और शरीर को पोषण मिलता है ।