Uterine torsion/गर्भाशय मरोड़

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लेखक- सविन भोगरा, पशुधन विशेषज्ञ, हरियाणा

आज पशुओं की कीमत लाखों में हैं। पशु पालक पूरी मेहनत करके पशु को तैयार करता है। इस दौरान ब्यांत के नजदीक होने पर यदि पशु की बच्चादानी घूम जाए (पलटी खा जाए) और समय पर इलाज नहीं कराया जाए तो पशु हमेशा के लिए खराब हो सकता है। मतलब पशु बांझपन का शिकार हो सकता है। बच्चेदानी के घूमने की समस्या अक्सर गाय या भैंस में विशेषकर अंतिम तीन महीने में होती है।
इसका एक बड़ा कारण लोगों का जागरूकता के अभाव में किसी अच्छे चिकित्सक को नहीं दिखाना होता है। अगर समय रहते इसका पता नहीं चले तो गर्भ में पल रहे बच्चे की तो मौत हो ही जाती है कई बार पशु की भी मौत हो जाती है।

कुछ ऐसा हो तो संभलें जाऐं।

ब्यांत के नजदीक पहुंचे पशु में पेट दर्द होना, जिससे पशु बार-बार उठता-बैठता है, बैचन हो जाता है और पशु जोर लगाता है। पशु चरना बंद कर देता है और जुगाली भी नहीं करता, गोबर भी कठोर करता है। ऐसे में पशु पर ध्यान दें।
पहली बार ब्यांत वाले पशु में ज्यादा देखने में आ रही समस्या
समस्या यह समस्या पहली बार ब्याने वाली गाय/भैंसों की अपेक्षा ज्यादा बार ब्याने वालों में अधिक होती हैं। अधिकतर भैंसों की बच्चादानी दांयीं ओर और सरवीक्ष के पीछे से घूम जाती है। जब भी गभवर्ती पशु को कोई समस्या होती है तो पशुपालक ज्ञान के अभाव में उसे या तो खुद ही दर्द निवारक टेबलेट दे देते हैं जो बिल्कुल गलत है। यदि पशु जोहड़ से पानी पीकर आया है या फिर कहीं गिर गया है तो बिना किसी देरी के अच्छे पशु चिकित्सक से दिखाएं।

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ब्यांत के अंतिम तीन माह देखभाल की ज्यादा जरूरत

ब्यांत के अंतिम तीन महीनें में तो पशु की खास देखभाल की जरूरत है। बच्चेदानी के घूमने की समस्या आ जाती है तो पशुपालक अच्छे चिकित्सक से राय लें । दर्द निवारक नहीं दें क्योंकि इसे पशु का दर्द तो कम हो जाता है लेकिन बच्चादानी कई बार हमेशा-हमेशा के लिए खराब हो जाती है।
खुद ही इलाज से परहेज करें पशुपालक

क्या नही करना चाहिए ।

पशु को दर्द की टेबलेट या इंजेक्शन ना दें जब भी गभवर्ती पशु को कोई समस्या होती है तो पशुपालक ज्ञान के अभाव में उसे या तो खुद ही दर्द निवारक टेबलेट दे देते हैं, जो बिल्कुल गलत है। यदि पशु जोहड़ से पानी पीकर आया है या फिर कहीं गिर गया है तो पशु चिकित्सक को दिखाएं।
अगर गर्भवती पशु अचानक फिसल जाए या गिर जाए, दूसरे पशु से भी लडऩे पर भी यह समस्या आ जाती है। इसलिए गर्भवती पशु के बैठने का स्थान सही हो।
पशु की बच्चेदानी घूमने या अन्य किसी प्रकार की दिक्कत आने पर नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें ।
पशु अस्पताल में ले जाएं।
भैंस को जोहड़ में ले जाने के कारण भी यह समस्या आ जाती है। क्योंकि जोहड़ में भैंस इधर-उधर पलटियां खाती है, जिससे बच्चेदानी घूमने की संभावना रहती है।

क्या इलाज करें।

बच्चे दानी घूमने की अवस्था में पशु चिकित्सक को अच्छी तरह से जांच करके बच्चेदानी के घूमने की दिशा का पता लगाना चाहिए। इसके बाद भैंस के पेट पर ओसतन 2 मीटर लंबा व डेढ फुट चौड़ा फट्टा रखकर उस पर दो या तीन आदमी चढ़कर फट्टे को एक जगह स्थापित करके भैंस को बच्चेदानी घूमने वाली दिशा में घूमाना चाहिए। इसके बाद बच्चेदानी की स्थिति की जांच करनी चाहिए।
गाय व भैंस की समस्या शुरू होने के 36घंटे के भीतर पशुचिकित्सक को दिखाने पर व इलाज करवाने पर इसके ठीक होने की संभावना 80 प्रतिशत से ज्यादा होती है। ज्यादा देरी करने पर जैसे कि लेवटी के सिकुडऩे पर और ब्यांत के लक्षण खत्म होने पर बच्चेदानी के सीधे होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। अक्सर ग्रामीण इलकों में पशुपालक इसे गंभीरता से नहीं लेते जिसका खामियाजा उन्हें बाद में भुगतना पड़ सकता है इसलिए जागरूकता जरूरी है।

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जागरूक बनें सचेंत रहें। एक अच्छा पशुपालन करें।

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