पशुओं में योनि शोथ/ वेजिनाइटिस
डॉ संजय कुमार मिश्र
पशु चिकित्सा अधिकारी, चौमुंहा ,मथुरा
योनि में सूजन प्राथमिक व द्वितीयक कारणों से हो सकती है। द्वितीयक योनि शोथ, गर्भाशय शोथ और गर्भाशय ग्रीवा के शोथ के कारण होती है। इसके अतिरिक्त चोट, घाव तथा संक्रमण के कारण योनिशोथ होता है। योनि में संक्रमण गर्भपात, फीटोटॉमी, कठिन प्रसव एवं हाथ से जेर निकालने के कारण हो सकता है। अक्सर गर्भाशय में संक्रमण होने पर स्ट्रांग तथा इरिटेंट एंटीसेप्टिक घोल से, योनि या गर्भाशय की धुलाई करने पर भी योनि शोथ हो सकता है। भैंसों में योनि शोथ
अपेक्षाकृत बहुत कम होती है।
लक्षण:
म्यूकस मिला हुआ मवाद कभी-कभी योनि द्वार से गिरता है।मवाद के कारण योनि द्वार के बाल चिपक जाते हैं तथा पूछ व पुटठो पर भी, मवाद लगी रहती है। योनि में सूजन , पानी उतरने / एडिमा व कंजेशन हो जाता है।
योनि में सूजन के कारण बार-बार इरिटेशन होता है जिससे पशु बार-बार मूत्र करता है। गंभीर योनि संक्रमण में गर्भाशय ग्रीवा के द्वार/ अॉस में भी संक्रमण फैल जाता है तथा मवाद बन जाती है, जिसके कारण वहां की पीएच बदल जाती है। इस स्थिति में यदि कृत्रिम गर्भाधान या नैसर्गिक प्रजनन करवाया जाता है तो शुक्राणु जीवित नहीं रह पाएंगे, अतः गर्भधारण संभव नहीं हो पाएगा।
भविष्य:
अधिकांश प्रकरणों में योनि शोथ जल्दी ठीक हो जाती है परंतु जहां संक्रमण अधिक हो वहां गंभीरता के आधार पर व उपचार के आधार पर ठीक होती है।
उपचार:
उपचार के प्रथम चरण में पहले योनि मैं इकट्ठा हो रही मवाद को बाहर निकाल ले, फिर प्रतिजैविक औषधि दें। योनि में ऑक्सीटेटरासाइक्लिन, पेनिसिलिन ,स्ट्रैप्टोमायसीन या अन्य किसी ब्रॉड स्पेक्ट्रम प्रतिजैविक औषधि का घोल या क्रीम योनि में डालें। यदि आवश्यकता हो तो इंट्रा मस्कुलर प्रतिजैविक औषधि भी देना सुनिश्चित करें।
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