कोविड-19 महामारी के नियंत्रण हेतु पशुचिकित्साविदों द्वारा किया गया योगदान

0
230
VETERINARIANS RESPONSE TO THE COVID-19 CRISIS
VETERINARIANS RESPONSE TO THE COVID-19 CRISIS

कोविड-19 महामारी के नियंत्रण हेतु पशुचिकित्साविदों द्वारा किया गया योगदान

डॉ संजय कुमार मिश्र1 एवं डॉ राकेश कुमार2
1.पशु चिकित्सा अधिकारी पशुपालन विभाग उत्तर प्रदेश
2. पशु चिकित्सा अधिकारी एवं प्रदेश अध्यक्ष उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा संघ, उत्तर प्रदेश

कोविड-19 महामारी पूरे विश्व मैं वैश्विक स्तर पर उभर कर सामने आई है । हालांकि कोविड-19 महामारी में मृत्यु दर कम परंतु संक्रमण दर बहुत अधिक है अतः इस बीमारी का नियंत्रण होना अति आवश्यक है। इस महामारी ने विश्व के अधिकांश देशों की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है।
कोरोना काल में पूरे विश्व में स्वास्थ्यकर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जान जोखिम में डालकर पशुचिकित्सकों द्वारा कोरोना नियंत्रण कार्यक्रमों में बॉर्डर पर सभी लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग में अपनी सेवाएं दी गई, साथ ही आइसोलेशन केंद्रों एवं कोरोना हॉस्पिटल में भी नोडल अधिकारी के रूप में 24 घण्टे सेवा दी गयी। RT PCR सुविधाओं वाले पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय मथुरा, आईवीआरआई बरेली, वेटरनरी कॉलेज मेरठ में पशुचिकित्सा वैज्ञानिकों द्वारा लाखों सैम्पल की जांच कर कोरोना नियंत्रण में महती भूमिका अदा की गई। इसके अतिरिक्त कई जिलों में खाद्यान्न वितरण, कानून व्यवस्था बनाये रखने, जनसामान्य में व्याप्त आशंकाओं को दूर करने, इमरजेंसी चिकित्सा द्वारा पशुपालकों को दौड़भाग से रोककर घर घर जाकर बीमार पशुओं का निशुल्क इलाज किया गया, साथ ही लगातार फ़ोन पर भी उपयुक्त परामर्श भी दिया जाता रहा। इससे पशुपालकों को अनावश्यक दौड़भाग से मुक्ति मिली और समाज मे कोरोना से बचाव में मदद मिली।
* कोविड-19 महामारी के दौरान पशुपालकों को अपने पशुओं के सामान्य एवं विशेष प्रबंधन हेतु पशुपालकों को पशुचिकित्सालय, भ्रमणभास एवं स्थानीय तथा राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों एवं ऑल इंडिया रेडियो के माध्यम से पशु चिकित्सा अधिकारियों द्वारा सम्यक रूप से जागरूक किया गया। जिसके परिणाम स्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर पशुपालकों मैं कोविड-19 का प्रसार न्यूनतम रहा।

पशुपालकों को पशुचिकित्साविदों द्वारा निम्नवत सलाह दी गई :

*सबसे पहले पशुपालको को यह समझना जरुरी है कि किसी को खांसी, सांस लेने में तकलीफ आदि जैसे लक्षण होने पर ही उसे कोरोना का संक्रमण हो यह आवश्यक नहीं है, बल्कि यह विषाणु, स्वस्थ दिखने वाले किसी भी व्यक्ति के शरीर में मौजूद हो सकता है तथा उन्हें संक्रमित कर सकता है l इसलिए वे खुद को व अपने पशुओं को संक्रमण संभावित स्थानों व इंसानों से दूर रखेंl हालाँकि अभी तक ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि पशु इस विषाणु को फ़ैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है परन्तु ऐसी सम्भावना हो सकती है जिसमे कुछ विशेष परिस्तिथियों में यह विषाणु पशुओं से मनुष्यों एवं मनुष्यों से पशुओ में भी फ़ैल सकता है।
इसलिए सभी पशुपालकों को सावधानी बरतते हुए निम्न बातों का सदैव ध्यान रखना चाहिए जिससे वे अपने पशु व् अपने प्रियजनों को कोरोना जैसी महामारी से बचा सकें:
•पशुशाला में गैरजरूरी व्यक्तियों के आवागमन को तत्काल प्रतिबंधित कर दें व अपने पशुधन को भी सार्वजानिक/ खुले स्थानों पर न बांध कर अपने घर/बाड़े में ही बाँधे।
*यदि पशु बीमार है तो घर पर ही प्राथमिक उपचार करे या फोन पर पशुचिकित्सक से परामर्श लेवें और बहुत जरुरत होने पर ही पशुचिकित्सक को अपने घर पर बुलाएं।
*जब भी आप पशुशाला में जाएं तो अपने मुँह व चेहरे को मास्क या कपड़े से ढक कर ही जाएं ताकि यह विषाणु सांस के द्वारा आपके शरीर में प्रवेश न कर सके।
*पशुशाला के द्वार पर सैनिटाइज़र या साधारण साबुन व् पानी रखें तथा पशुशाला में प्रवेश से पूर्व व निकलते समय अपने हाथ अच्छे से धोएं व उसके पश्चात् ही अपने मास्क आदि को छुएं।
*यदि आप अस्वस्थ महसूस कर रहे हो तो पशुशाला में न जाए व सवस्थ होने तक सामाजिक दूरी बना कर रहें।
* आवश्यकता महसूस होने पर सरकार द्वारा निर्धारित स्थानों पर कोविड-19 का टेस्ट अवश्य कराएं।
*बड़ी पशुशाला में यदि एक से अधिक श्रमिक कार्य करते है तो रोजमर्रा के कार्यों के दौरान उन्हें सामाजिक दूरी (कम से कम 2 गज) बनाए रखने व् हर 2-3 घंटे के पश्चात् हाथ धोने के लिए प्रेरित करे।
*हाथ धोने हेतु अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर का उपयोग कर सकते हैं परंतु हैंड सैनिटाइजर हाथ धोने का विकल्प नहीं है।
*पशुशाला में कोई भी कर्मचारी बाहर से न आये तथा पशुपालक उनके रहने, खाने व् रोजमर्रा के कार्यों की समुचित व्यवस्था कार्यस्थल पर ही करें।
*पशुशाला में कार्य करने वाले सभी व्यक्तियों के पशुशाला व घर के लिए अलग अलग कपड़े होने चाहियेंl
*पशुशाला एवं मुर्गी फार्म में उपयोग होने वाले सामान व उपकरण को नियमित रूप से साफ़ करे।
*पशुओं के बाड़े को 1% हाइपोक्लोराइट घोल के साथ रोजाना दो बार साफ़ करें। धातु के बर्तनों को किसी डिटर्जेंट के घोल से साफ़ करें या 70% अल्कोहल भी उपयोग कर सकते है।
*स्वच्छ दूध सुनिश्चित करने के लिए अयन व थनों को एंटीसेप्टिक घोल जैसे पोटैसियम परमैंगनेट (लाल दवा) या नीम की पत्तियों सहित उबले हुए पानी से, धो लेने के पश्चात् ही दूध दोहन करें।
*यदि सुरक्षित तरीके से दूध नहीं बेच पा रहे है तो घी आदि बनाकर संग्रहित कर ले व् छाछ आदि पशुओं को पिलाएं।
*सभी नमस्कार करने की आदत डालें व हाथ मिलाने से बचे।
*पशुशाला से सम्बंधित सभी व्यक्तियों के फोन में आरोग्य सेतु अप्लीकेशन सुनिश्चित करे व समय समय पर उसके द्वारा अपने स्वास्थ्य की जांच करते रहेंl
*जितना हो सके नकद लेनदेन की अपेक्षा ऑनलाइन माध्यम ही अपनाएं।
इन सभी उपरोक्त बातों का ध्यान रखने से हम कोरोना महामारी से निपटने में मत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है व स्वयं एवं अपने परिवार को सुरक्षित भविष्य दे सकते हैं।
*उपरोक्त जानकारी के अतिरिक्त अन्य सामान्य जानकारियों द्वारा विभिन्न सुदूर क्षेत्रों में विशेष रुप से डेरी, बकरी, भेड़, सूकर एवं पोल्ट्री व्यवसाय से संबंधित पशुपालकों को भ्रमणभाष, दैनिक समाचार पत्रों एवं ऑनलाइन हिंदी पत्रिकाओं के माध्यम से समुचित रूप से जागरूक करने का ही परिणाम रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 का प्रसार न्यूनतम रहा है।
*कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान पशु चिकित्सालय पूर्णकालिक खुले रहे और रोगी पशुओं का समुचित उपचार कोविड-19 के दिशा निर्देशों के अनुसार न्यूनतम संसाधनों के साथ पूर्ण किया गया।
*उत्तर प्रदेश पंडित दीन दयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय एवम गो अनुसंधान संस्थान के पशुचिकित्साविदों द्वारा कोविड-19 के परीक्षण हेतु एक विशेष प्रयोगशाला को प्रारंभ किया गया। जिसमें संपूर्ण जिले से आए कोविड-19 के लगभग 60,000 सैंपल्स का आरटीपीसीआर द्वारा त्वरित परीक्षण कर परिणाम से अवगत कराया गया।
*पशुपालन विभाग उत्तर प्रदेश के लगभग 60 पशु चिकित्सा विदों को कोविड-19 का संक्रमण हुआ जिनमें से दस पशु चिकित्साविदों की असामयिक मृत्यु भी हो चुकी है। इन सबके बावजूद विभाग के समस्त पशु चिकित्साविद पूर्ण मनोयोग से पूरे कोरोना काल में आकस्मिक सेवाओं के अतिरिक्त अन्य सभी विभागीय एवं गैर विभागीय कार्य करते रहे हैं, एवं अभी भी कर रहे हैं।
*निराश्रित एवं बेसहारा गोवंश के लिए भूसे और हरे चारे की व्यवस्था ग्राम प्रधान , सचिव एवं स्थानीय दानदाताओं के सहयोग से समुचित रूप से कराई गई। *सड़क पर घूमने वाले बेसहारा पशु यथा गाय, सांड, कुत्तों एवं बंदरों को को भी स्थानीय स्वयंसेवी व्यक्तियों की सहायता से आहार उपलब्ध कराया गया। जिससे गौशालाओं एवं निराश्रित गो आश्रय स्थलों, कान्हा गौशालाओं, पंजीकृत गौशालाओं एवं अपंजीकृत गौशालाओं में किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न नहीं हुई।
*ब्रायलर उत्पादन एवं लेयर उत्पादन इकाइयों में कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित कराया गया एवं बीमारी से संबंधित सभी मूलभूत जानकारियां कुक्कुट व्यवसाय से जुड़े लोगों को उपलब्ध कराई गई।
उपरोक्त कार्यो के परिणाम स्वरूप विभिन्न पशु उत्पादों यथा दूध, घी , पनीर, दही, अंडा एवं विभिन्न प्रकार के मांस उत्पाद जनता को निर्बाध रूप से प्राप्त होते रहे हैं। उपरोक्त के कारण सकल घरेलू उत्पाद की स्थिति में भी सुधार हुआ है। जो कि कोरोना कॉल मैं लॉकडाउन के दौरान एवं उसके पश्चात पशु चिकित्साविदों के पूर्ण समर्पण, निष्ठा एवं सहयोग के द्वारा अतुलनीय सहयोग के द्वारा ही संभव हो पाया है। जिससे कोविड-19 के संक्रमण काल में पशुपालकों एवं सामान्य जनों को जागरूक करते हुए कोविड-19 के प्रसार को काफी हद तक रोकने में सफल हुए हैं।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि कोरोना महामारी एक विषाणु जनित रोग है जिसके फैलाव में अनजान स्पर्श एवं ड्रॉपलेट संक्रमण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विषाणु की बदलती संरचना के कारण इसके कई स्ट्रेन पाए गए हैं, अभी भी इस रोग के सारे लक्षण ज्ञात नहीं हो सके हैं। अतः बुखार, सांस फूलने के शुरुआती लक्षणों पर तुरन्त जांच करानी चाहिए। जांच भी दो तरह की होती है। इस दौरान डॉक्टरों की सलाह के अनुसार खुद को ढालना चाहिये।
*अपनी बारी आने पर कोरोना महामारी से बचाव हेतु टीकाकरण कराना अति आवश्यक है। खतरा अभी टला नहीं है, कोरोना बीमारी खत्म होने तक सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि एक कहावत है कि सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी।

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON
READ MORE :  The Veterinarian Response to the COVID-19 Crisis