जंगल में जब मैंने बाघिन का पीछा किया: वाइल्ड लाइफ वेट की एक रोचक कहानी

0
424

 

जंगल में जब मैंने बाघिन का पीछा किया: वाइल्ड लाइफ वेट की एक रोचक कहानी

डॉ राकेश कुमार सिंह,
वन्यजीव विशेषज्ञ व वेटेरिनरी ऑफिसर

दो किलोमीटर-जंगल की ओर

“टाइगर के पंजे के निशान” मेरे साथी वाइल्डलाइफ विशेषज्ञ ने मेरा ध्यान आकर्षित किया। मैने तुरंत उस ओर देखा। बड़े बड़े स्पष्ट निशान इंगित कर रहे थे कि इस जगह से अभी अभी एक टाइगर गुजरा है। ध्यान से देखने पर पंजे का पैटर्न आयताकार था, जिससे स्पष्ट हो रहा था कि वह कोई बाघिन थी। क्योंकि वयस्क नर का पंजा चौकोर होता है। हमने दो कदम ही बढ़ाये थे कि मुझे छोटे छोटे पंजे के निशान भी मिले। अब हमारे सतर्क होने की बारी थी। परिस्थितियां इंगित कर रही थीं कि बाघिन के साथ उसका शावक भी था। वैसे तो जंगलों में घूमते हुए मेरा कई बार बाघ से सामना हुआ है। पर शावक के साथ बाघिन खतरनाक हो सकती थी। अतः हम अधिक सजग हो गए।

दरअसल, सरिस्का टाइगर रिजर्व में कई दिनों से खुली जिप्सी में वन्यजीवों का अध्य्यन करते हुए एक दिन यह तय हुआ कि आज जंगल की एक सूनी पगडंडी पर दो किलोमीटर चलके वन्यजीवों को देखा जाए। सुबह की सैर के साथ जंगल की हरी-भरी, शांत व पक्षियों के कलरव से भरपूर राह पर चलने में जो आनंद है वह धरती पर कहीं नहीं। आगे बढ़ने पर टाइगर के पंजे एक पेड़ की ओर मुड़ गए थे और पुनः राह पर दिख रहे थे। स्पष्ट था कि बाघिन ने पेड़ पर अपने क्षेत्र की मार्किंग के लिए अपनी यूरिन की गंध छोड़ी थी, वह सन्देश दे रही थी कि यह क्षेत्र उसका है। हम हल्के कदमों से धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे। आगे नीलगायों का गोबर का ढेर बता रहा था कि यह उनका आपसी कम्युनिकेशन बिंदु है। सभी एन्टीलोप की उतपत्ति मूलतः अफ्रीका में हुई थी अतः खुले सवाना मैदानों में आपसी सन्देश देने का यह एक बेहतरीन तरीका है। और आज भी इनके जीन्स में है। पास में ही छोटे से पंजे के निशान देख हम सब असमंजस में पड़ गए कि यहाँ से कौनसा जीव गुजरा होगा। तभी वहाँ झाड़ू लगाने जैसे निशान भी देख हम आश्वस्त हो गए कि यहाँ अवश्य एक साही आयी थी औऱ उसके कांटों से यह चिन्ह बने हैं। दूर किसी नर चीतल हिरण के बोलने की आवाज़ जंगल की शांति को भंग कर रही थी, कोई हिरण मादाओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा था। कुछ दूर ही राह को पार करते खुरों के निशान बता रहे थे कि किस तरह बाघिन को देखते ही यहाँ भगदड़ मच गई होगी। मुड़ती राह पर किसी मोरों के झुंड के पंजों के निशान मन को आनन्दित कर रहे थे कि तभी पपीहे की आवाज ने सन्नाटे को चीरते हुए हमारे कानों को भेदा। कैसा ग़ज़ब का आकर्षण था उस आवाज़ में। जंगलों में मोर की आवाज़ एक रोमांच उतपन्न करती है। हम जंगलों का पूर्ण आनन्द लेते हुए धीरे धीरे घने जंगलों में प्रवेश कर गए। एक साथी ने आवाज़ दी कि यहाँ तेंदुए का भी पंजा है, लेकिन पंजे के साथ में जमीन पर नाखूनों के भी चिन्ह बता रहे थे कि यह किसी लकड़बग्घे के पांव के निशान हैं। ऐसा लग रहा था कि शायद वह बाघिन का पीछा कर रहा था। ताकि उसके शिकार में से अपना हिस्सा लेके भाग सके। वहीं पेड़ों पर रहिस्स मकाक बंदरों के झुंड का अल्फा मेल अपना साम्राज्य दिखाने के लिए झुंड के अन्य नारों को अपने बड़े -बड़े दांत दिखा रहा था।

READ MORE :  ECOLOGICAL IMPORTANCE OF ELEPHANTS

दूर एक तालाब में विभिन्न प्रकार के पक्षी अठखेलियाँ कर रहे थे। साम्बरों का झुंड पानी में मस्ती के मूड में था। और चीतल हिरन, जी हाँ रामायण के स्वर्ण-मृग, सूखी घास को चरते हुए माहौल को औऱ रोमांचमय कर रहे थे। हम सब जंगल की सुंदरता में इतने डूब गए कि पता ही नहीं चला कि कब जंगली सुअरों का झुंड वहां आ गया। हालाँकि ये जल्दी आक्रमण नहीं करते लेकिन एक नर जंगली सुअर के बड़े -बड़े दांत देख कर पसीने छूटना स्वाभाविक है।

घने होते जंगल व छोटी छोटी पहाडियों के बीच सर्पिलाकार कच्चे रास्ते एवं आगे रास्ते को पार करता नीलगायों का झुंड अविस्मरणीय था। तभी एक सांबर हिरण ने विचित्र सी आवाज़ निकाल कर पूंछ उपर उठा ली, हमें लगा कि वह हमें देख कर सबको सावधान कर रहा है। लेकिन आगे बढ़ने पर लंगूरों के झुंड ने पेड़ों पर कूद-फांद शुरू कर दी, पक्षियों ने पेड़ पर जोर से चहकना शुरू कर दिया। तब हमें एहसास हुआ कि सांबर हिरण आलार्मिंग कॉल दे रहा था कि बाघिन कहीं आसपास ही है। यह एक रोमांचित कर देने वाला एहसास था। लेकिन बाघिन के साथ शावक के भी होने की आशंका से हमने जंगल में विचरण करते बाघ को फिर कभी देखने का निर्णय लिया।हम जंगल की पगडंडियों पर वापस लौट रहे थे। जंगल में यदि कुछ ना दिखे तब भी वन्यजीवों द्वारा बनायी पगडंडियां ही अपने आप में बहुत कुछ बता जाती हैं। महानगरों के कोलाहल और तनाव से दूर प्रकृति की असीम सुंदरता को सुरक्षित रखे ये जंगल मात्र दो किलोमीटर की पैदल यात्रा में हमारे लिए इतना कुछ सँजोये हुए थे। यहाँ सुकून, शांति और रोमांच सब कुछ है बस देखने वाले का नज़रिया होना चाहिए।
-डॉ आर के सिंह

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON