उत्पादकता रहित अनुपयोगी लावारिस पशु धन के लिए जिम्मेदार कौन?
डॉक्टर संजीव कुमार वर्मा
,प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण)
भाकृअनुप – केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ छावनी
*9933221103
अक्सर देखा गया है कि कमजोरी और थनों की समस्या के कारण दूध ना देने वाली गाय सड़कों पर और भैंस बूचड़खाने पहुंच जाती है…
तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
हम ही हैं ना। तो पहले समझते हैं कि कमजोरी क्यों होती है और थनों की बीमारियां क्यों होती है?
पशु को आवश्यकता से कम मात्रा में चारा व दाना देने के कारण कमजोरी तो आएगी ही।
पशु के लिए चारे और दाने की सही मात्रा क्या है?
हर एक स्वस्थ पशु को भरपेट कुछ मात्रा में सूखा चारा और भरपेट हरा चारा देने पर कम से कम चार किलो दूध बिना कोई रातिब दिए लिया जा सकता है।
हरा चारा ना होने की स्थिति में उसकी पूर्ति रातिब देकर करनी होगी।
चार किलो से अधिक उत्पादन की स्थिति में हर एक किलो दूध के लिए गाय को चार सौ ग्राम सन्तुलित रातिब देना होगा जबकि भैंस को पांच सौ ग्राम।
कैसे पता लगेगा कि पशु ने भरपेट खा लिया?
जितना चारा आपने डाला अगर उसका 10 प्रतिशत उसके सामने बचा है तो समझो भरपेट खाया है। अगर कुछ भी नहीं बचा है तो समझो कि आपने चारा कम डाला था।
अब समझते हैं थनों की समस्या कैसे होती है?
इसके लिए कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं है। यह बहुत से कारणों का गठबंधन है जिसके कारण सरकार फेल हो जाती है।
इन्हीं में से एक सबसे प्रमुख कारण है पशु के खान पान में प्रोटीन की कमी।
पशु को जो निम्न क्वालिटी की प्रोटीन हम देते हैं वह पशु के शरीर में जाकर उच्च क्वालिटी की प्रोटीन में परिवर्तित हो जाती है और पशु के दुग्ध तंत्र में जाकर वह बनाती है ‘लैक्टोफेरिन प्रोटीन’।
यह लैक्टोफेरिन प्रोटीन बहुत करामाती है। यह प्रोटीन दुग्ध ग्रंथियों में उपस्थित आयरन से बाइंड करती है। अगर यह बाइंडिंग ना हो तो वहां उपस्थित जो आयरन है उसके कारण थनैला के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया की ग्रोथ ज्यादा होती है। बैक्टीरिया की ग्रोथ ज्यादा होने से वहां स्वेलिंग आ जाती है। लैक्टोफेरिन के आयरन से बाइंड करने के कारण बैक्टीरियल ग्रोथ नहीं हो पाती और पशु को मेस्टाईटिस नहीं होता।
लैक्टोफेरिन ना केवल बैक्टीरिया की वृद्धि को कम करती है बल्कि बैक्टीरिया को मारती है और एंटी फंगल का भी काम करती है।
पशु के आहार में अगर प्रोटीन कम होगी तो लैक्टोफेरिन कम बनेगी तो आयरन से कम बाइंडिंग होगी तो बैक्टीरिया की ग्रोथ ज्यादा होगी तो मैस्टाईटिस हो जाएगा और एक बार यह हुआ तो समय पर उपचार ना करने की दशा में वह थन खराब होना निश्चित है। परिणाम गौमाता सड़कों पर और भैंस बूचड़खाने।
पशु के आहार में प्रोटीन का बेहतरीन और सबसे सस्ता स्रोत है हरा चारा। इज़के अतिरिक्त रातिब मिश्रण में उपस्थित अनाज, खली और चोकर से भी प्रोटीन मिलती है। इसलिए आवश्यक है कि रातिब मिश्रण में इन तीनों को जरूर मिलाया जाए और इसके अलावा नमक और खनिज मिश्रण भी मिलाया जाए।
अब चॉइस है आपकी… गाय और भैंसों को सड़कों पर या बूचड़खाने भेजना है या उनका दूध पीते रहने के लिए उनको सन्तुलित पोषण प्रदान करना है।