क्या होम्योपैथी पशु चिकित्सा में वरदान साबित हो सकता है?

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क्या होम्योपैथी पशु चिकित्सा में वरदान साबित हो सकता है?

डॉ. आयुष यादव

पशुधन विकास विभाग, महासमुंद, छत्तीसगढ़

पशु चिकित्सा में होम्योपैथी की मांग लोकप्रियता प्राप्त कर रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पशुधन में कई बिमारीयां पुरानी और आवर्ती प्रकृति की होती हैं जिसका इलाज एलोपैथी में कठिन है। जिस वजह से पशुपालकों का रूझान होम्योपैथी की ओर बढ़ता जा रहा है जो पशुधन की प्रतिरक्षा को मजबूत करता है और बीमारी के मूल कारण का इलाज करता है। होम्योपैथी के विज्ञान की शुरुआत जर्मन चिकित्सक डॉ. सैमुअल हैनिमैन ने 1796 में की थी। होम्योपैथी रोगी के लिए उपयुक्त दवा खोजने की एक ऐसी प्रणाली है जिसमें रोगी में दिखाई देने वाले सभी शारीरिक और मनोवैज्ञानिक संकेतों व लक्षणों को एक साथ इकट्ठा किया जाता है और उनका विश्लेषण किया जाता है जिसमें वर्षों से सूचीबद्ध उपचारों के विवरण के आधार पर रोगी के उपचार का चयन किया जाता है। होम्योपैथी में औषधि की बहुत कम मात्रा की जरूरत होती है तथा रोग से मुक्ति भी जल्दी मिलती है इसलिए उपचार का खर्च भी बहुत कम होता है। इस पद्धति से सिर्फ लाभ ही होता है। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। जबकि एलोपैथी में औषधि, समय और पैसा दोनों अधिक खर्च होते हैं। होम्योपैथी में औषधियाँ आम तौर पर छोटी गोलियों या तरल के रूप में आते हैं और जीभ या मसूड़ों के माध्यम से अवशोषित होने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं।

वर्तमान में, होम्योपैथी का उपयोग मुख्य रूप से मवेशियों, सूअरों और मुर्गी पालन में किया जा रहा है। उपरोक्त पशुधन में प्राप्त सकारात्मक परिणामों का उल्लेख नीचे बिंदुओं में किया गया है जो दर्शाता है कि होम्योपैथी पशुपालकों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यद्यपि पशु चिकित्सा पद्धति में होम्योपैथी का उपयोग अभी भी प्रगति के प्रारंभिक चरण में है।

  1. होम्योपैथी दवा प्राप्त करने वाले डेयरी पशुओं में प्रसव के दौरान सहायता की कोई आवश्यकता नहीं देखी गई, थन स्वास्थ्य और गर्भाधान दर में सुधार पाया गया, बछड़ों में कोई मृत्यु नहीं हुई, और थनैला रोग, मेट्राइटिस, और जेर के रुकने के मामलों में कमियां देखी गई।
  2. होम्योपैथी उपचार प्राप्त करने वाले पशुओं में सबक्लिनिकल थनैला रोग के मामले 5 गुना तक कम पाए गए।
  3. होम्योपैथी उपचार के बाद दूध की पैदावार में भी वृद्धि देखी गई है।
  4. सूअरों में, मृत जन्मों की संख्या (stillbirths), पिगलेट मृत्यु दर, थनैला रोग और मेट्राइटिस की संख्या में कमी पायी गई। साथ ही, पिगलेट के समूह के वजन (litter weight) में भी सुधार दर्ज किया गया।
  5. वर्ष 2003 में किये गए शोध से ज्ञात होता है कि होमियोपैथी के उपयोग से सूअरों के सामान्य स्वास्थ्य में सुधार हुआ है जो एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग को 60 प्रतिशत तक कम कर सकता है।
  6. होम्योपैथी श्वसन तंत्र संक्रमण (respiratory tract infection) और दस्त में भी कारगर है।
  7. मुर्गियों में उच्च विकास दर और वजन में वृद्धि, और कम खाद्य रूपांतरण अनुपात (feed conversion ratio) और मृत्यु दर दर्ज की गई।
  8. गहन कुक्कुट पालन में, होम्योपैथी के उपयोग से मृत्यु दर 50 प्रतिशत से अधिक कम पाई गई।
  9. होम्योपैथी का उपयोग आघात और एक्यूट इंजुरी जैसे मोच, गंभीर चोट, और कीड़े के डंक में किया जा सकता है। ऐसे मामलों में, उपयुक्त होम्योपैथिक उपचार सूजन और दर्द को समाप्त कर सकता है और ठीक होने में लगने वाले समय को कम कर सकता है।
  10. होम्योपैथी का उपयोग संक्रमण और एलर्जी सहित सभी प्रकार की एक्यूट और क्रॉनिक त्वचा की स्थितियों के इलाज के लिए किया जा सकता है, और यदि उचित रूप से उपयोग किया जाता है, तो प्रतिरक्षा-मध्यस्थ विकारों (immune-mediated disorders) के उपचार में भी प्रभावी हो सकता है।
  11. होम्योपैथी गठिया और स्पोंडिलोसिस के उपचार में भी सहायक है।
  12. होम्योपैथी कैंसर से जुड़ी परेशानी को कम करने में भी मददगार हो सकता है।
  13. आजकल खाद्य-उत्पादक पशुओं में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग उपभोक्ताओं के बीच अलोकप्रिय होता जा रहा है। इसलिए, कई किसान और पशु चिकित्सक होम्योपैथी को पशुधन में बीमारियों के इलाज के विकल्प के रूप में देखते हैं और इस प्रकार एंटीबायोटिक दवाओं की खपत को कम करते हुए एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रसार को भी रोकने में मदद कर रहे हैं।
  14. जैविक खेती में रासायनिक रूप से संश्लेषित एलोपैथिक पशु चिकित्सा उपचार के स्थान पर होम्योपैथी के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
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चूंकि “पशु चिकित्सा में होम्योपैथी” पर पर्याप्त साहित्य उपलब्ध नहीं है, ये कहना गलत नहीं होगा की पशु चिकित्सा में होम्योपैथी अभी तक पूर्ण रूप से स्थापित नहीं हुआ है। हालांकि, कुछ उपलब्ध साहित्य पशु चिकित्सा में होम्योपैथी के सकारात्मक प्रभाव और वरदान स्वरूप को दर्शाते हैं। अंत में, वैज्ञानिक मानते हैं की होम्योपैथिक उपचार बहुत सुरक्षित और आसान है।

संदर्भ

  1. Doehring, C. and Sundrum, A. (2016). Efficacy of homeopathy in livestock according to peer‐reviewed publications from 1981 to 2014. Veterinary Record, 179(24): 628-628.
  2. Schutte, A. (2003). Homeopathy in pig farming: Support and documentation of laity homeopathic working groups. Zeitschrift für ganzheitliche Tiermedizin, 17: 25-28.
  3. Vockeroth, W.G. (1999). Veterinary homeopathy: An overview. The Canadian Veterinary Journal, 40(8): 592.
  4. https://www.pashudhanpraharee.com/increasing-livestock-farmers-income-through-application-of-ve/
  5. https://www.gaonconnection.com/stories/homeopathy-treat-animals
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