पशुओं में कन्धा आना (YOKE GALL) : लक्षण एवं उपचार

0
1091
YOKE GALL
YOKE GALL

पशुओं में कन्धा आना (YOKE GALL) : लक्षण एवं उपचार

Dr. Neelam Tandia 1 Dr. Priya Singh 1, Dr. Dharmendra kumar 2, Dr. PDS Raghuvansi2, Dr. Baleshwari dixit 3 , Dr. Shilpa Gajbhiye 4,Dr. Mudasir Ahmed shah 5, Dr. Bhawana Kushwaha 6 ,

1 Assistant Professor, 2 Associate Professor, Department of Surgery and Radiology,

3 Assistant Professor, Department of Veterinary Public Health

4 Professor, Department of Veterinary Medicine

   College of Veterinary Science and Animal Husbandry, NDVSU, Rewa (MP)-486001.

5 Veterinary officer, Department of Animal husbandry, Kashmir

6 Veterinary officer, Department of Animal husbandry, Madhya Pradesh

कन्धा आना (Yoke Gall) यानि पशुओं के गर्दन या कन्धे पर सूजन आना या पशुओं के गर्दन या कन्धे पर गांठ आना यह रोग खासकर काम करने वाले पशुओं के गर्दन या कन्धे पर होता है। इसे गर्दन या कन्धे का घाव कहा जाता है।

लक्षण:

यह रोग खासकर काम करने वाले पशुओं के गर्दन या कन्धे पर होता है। इसे गर्दन या कन्धे का घाव कहा जाता है। इस रोग का कारण जुए द्वारा गर्दन पर दबाव से सूजन आना होता है। गर्दन मोड़ने व झुकाने पर पशुओं के गर्दन या कन्धे पर दर्द होता है। यदि इसका उपचार न किया गया तो बाद मे काफी कड़ी हो जाती है तथा सूजन व घाव का रूप ले लेती है।

 प्राथमिक पशु चिकित्सा उपचार –

(i) प्रभावित भाग की सिकाई करनी चाहिए तथा पशु से काम लेना तुरन्त बन्द कर देना चाहिए।

(ii) यदि सूजन कड़ा हो गया है तो आयोडेक्स या आयोडीन मलहम लगाकर धीरे-धीरे देर तक मलना चाहिए। यदि इससे लाभ न हो तो घाव पर लाल मलहम (रैड मरकरी) लगाइये इससे घाव मे पीव बन जाती है जिसे चीर फाड़कर एवं साफ कर घाव का उपचार करना चाहिए।

READ MORE :  THERAPEUTIC MANAGEMENT OF TRYPANOSOMIASIS IN DOGS

उक्त कन्धे के निचले हिस्से पर जहाँ से कन्धा शरीर से जुड़ा है एक नए ब्लेड से चीरा लगाने वाले स्थान को स्प्रिंट से अच्छी तरह साफ करके लम्बवत् लगभग 1″ लम्बा चीरा लगाकर अन्दर भरे हुए मवाद को दबा दबा कर बाहर निकाल देते हैं।

इसके पश्चात् पट्टी का रोल लेकर उसे अच्छी तरह टिंचर आयोडीन अथवा बीटाडीन के घोल में भिगोकर चिमटी की मदद से चीरा लगाए स्थान से अन्दर भरते जाते हैं तथा अन्तिम सिरा लगभग 1 इन्च बाहर छोड़ देते हैं। इस पट्टी को घाव सूखने तक प्रत्येक 24 घन्टे पर बदलते रहना चाहिए।

(iii) यदि पशु से काम लेने के एक-दो दिन पहले से या काम के शुरू के कुछ दिनों में गर्दन पर अमोनिया लिनीमेंनट (कपूर एक भाग और अलसी का तेल 4 भाग मिलाकर) लगाया जाय तो सूजन या घाव नहीं होने पाता है । पशु को इन्जेक्शन द्वारा एन्टीबायोटिक औषधियाँ तथा पीडाहारी औषधियाँ 5 दिनों दें।

पशुओं में होने वाले प्रमुख रोग लक्षण एवं उपचार

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON